शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2008
कुछ तो सोचो
मनसे प्रमुख राज ठाकरे जो कर रहे हैं उस पर केन्द्र और महारास्ट्र सरकारों की चुप्पी आश्चर्य जनक है । केन्द्र को यह भलीभांति समझ लेना चाहिए की यही गलती किसी ज़माने में इंदिरा गाँधी ने की थी । परिणाम स्वरूप लंबे समय तक पंजाब आतंकवाद की चपेट में रहा । इस लिए मनमोहन सिंह सरकार को चाहिए की वह राज ठाकरे के रूप में दूसरा भिंडरावाले न पैदा करे । एक भिंडरावाले से देश को बड़ी मुश्किल से निजात मिली है । महाराष्ट्र में राज ठाकरे जो कर रहे हैं काफी कुछ वह संत भिंडरावाले की पंजाब में अंजाम दी गई गतिविधियों से मिलता है । बड़े ही शर्म की बात है कि चंदवोटों के लिए हमारे देश कि सरकारें अलगाववाद की राजनीति करने वालों के खिलाफ मौन साध लेती हैं । टुच्चे किस्म के नेता खुलेआम क्षेत्रवाद और भाषा के नाम पर अपने ही देश के नवजवानों का खून बहा रहे हैं । यह लोग देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। आज जो यह कर रहे हैं कल यही दूसरे प्रदेश के लोग करेंगे। फ़िर लोगों को रोकना मुश्किल हो जाएगा । इसके बावजूद केन्द्र और प्रदेश की सरकारें इस ओअर से आँख मूदे हैं । अगर देश की सरकारों का यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत कई खंडों में विभाजित हो जाएगा ।
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